एक प्लेटफ़ॉर्म जहां मैनेज़ कर सकते हैं बिज़नेस की सभी ज़रूरतें

बिज़नेस

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (Micro, Small and Medium Enterprises – MSME) यानी बिज़नेस क्षेत्र पिछले पांच दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है। यह उद्यमिता (Entrepreneurship) को बढ़ावा देकर और कृषि के बाद कम पूंजी लागत पर बड़े रोजगार (Employment) के अवसर पैदा करके देश के आर्थिक और सामाजिक विकास (Social development) में महत्वपूर्ण योगदान देता है। MSME बड़े उद्योगों की सहायता करने के साथ ही देश के समावेशी औद्योगिक विकास (Inclusive industrial development) में महत्वपूर्ण योगदान देता है। MSMEs अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में अपने डोमेन का विस्तार कर रहे हैं। साथ ही घरेलू और वैश्विक बाजारों (Domestic and global markets) की मांगों को पूरा करने के लिए कई तरह के उत्पादों और सेवाओं (Products and services) का उत्पादन (Production) कर रहे हैं।

भारत में MSMEs की वर्तमान स्थिति:

भारत में MSMEs बड़े उद्योगों की तुलना में कम पूंजी लागत पर बड़े रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण (Industrialization) के माध्यम से, क्षेत्रीय असंतुलन (Regional imbalances) को कम करने, राष्ट्रीय आय और धन के समान वितरण (Equal distribution) की ज़िम्मेदारी लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office) के 2015-16 में 73वें राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey) के अनुसार, देश में 633.88 लाख गैर-कृषि (Non-agriculture) MSMEs विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में लगे हुए थे। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए गए इमेज को देखें।

MSMEs व्यवसायियों को रोज़ाना करना पड़ता है इन समस्याओं का सामना:

बिज़नेस के लिए धन की कमी: 

भारत सरकार ने कुछ समय पहले आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (Emergency Credit Line Guarantee Scheme – ECLGS) के तहत देश के 45 लाख MSMEs को लाभ पहुंचाने के लिए तीन लाख करोड़ रूपये कोलेट्रल फ़्री लोन योजना की घोषणा की थी। इस योजना के अंतर्गत 3 अगस्त, 2020 तक 1,37,587.54 करोड़ रूपये के लोन सैंक्शन किए गए और 92,090.24 करोड़ रूपये व्यवसायियों को लोन के रूप में दिए जा चुके हैं। हालांकि, इसके बाद भी कई MSME व्यवसायी हैं, जो लोन लेने के लिए बैंक के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन उन्हें लोन नहीं मिल पाता है। जिन लोगों को लोन मिलता भी है, उन्हें लंबी कागज़ी कार्रवाई से होकर गुजरना पड़ता है, जो बहुत ही तकलीफ़ देने वाला होता है। यही वजह है कि वर्तमान में ज़्यादातर व्यवसायी नियो बैंक या NBFC से लोन लेते हैं।

करेंट अकाउंट का न होना:

विशेषज्ञों के अनुसार, बिज़नेस संबंधी सभी लेन-देन के लिए करेंट अकाउंट इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन आज भी कई छोटे व्यवसायी अपने पर्सनल बैंक अकाउंट से ही बिज़नेस संबंधी लेन-देन करते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि बैंक में करेंट अकाउंट खुलवाने के लिए लंबी लाइन और थका देने वाली प्रक्रिया (Tiring process) से होकर गुजरना पड़ता है। साथ ही पारंपरिक बैंकों में बिज़नेस के लिए करेंट अकाउंट खुलवाने के लिए कई डॉक्यूमेंट्स देने पड़ते हैं और लगभग 25,000 रूपये हर समय मिनिमम बैलेंस के तौर पर रखना पड़ता है। यही वजह है कि ज़्यादातर व्यवसायी अपने पर्सनल सेविंग अकाउंट से ही अपना बिज़नेस मैनेज़ करते हैं, जिससे बिज़नेस के पैसों को ट्रैक करने में काफ़ी मुश्किल होती है।

बिज़नेस मैनेज़ करने के लिए ज़्यादा समय और पैसे खर्च करना:

भले ही देश धीरे-धीरे डिजिटल हो रहा है, लेकिन आज भी कई व्यवसायी हैं, जो अपने बिज़नेस की बिलिंग, बैंकिंग, अकाउंटिंग और टैक्स संबंधी ज़रूरतों को मैनुअली मैनेज़ करते हैं, जिसमें काफ़ी समय और पैसा खर्च हो जाता है। वहीं, अगर व्यवसायी अपने बिज़नेस को कम पैसे और समय खर्च करके मैनेज़ कर सकें, तो बचे हुए समय और पैसे को अपना बिज़नेस बढ़ाने में लगा सकते हैं। साथ ही बचे हुए समय में अपने पसंद के काम कर सकते हैं और अपने परिवार को ज़्यादा समय दे सकते हैं।

अकाउंटिंग और बुककिपिंग में बार-बार गलती होना:

अकाउंटिंग और बुककिपिंग, छोटे-बड़े हर तरह के बिज़नेस के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसकी मदद से ही बिज़नेस की बिक्री, फ़ायदे और नुक़सान की गणना की जाती है। अक्सर बुककिपिंग और अकाउंटिंग को मैनुअली मैनेज़ करते समय गलती हो जाती है, जिससे बिज़नेस में होने वाले फ़ायदे और नुक़सान की सही गणना नहीं हो पाती है। यह स्थिति किसी भी बिज़नेस के लिए अच्छी नहीं होती है, जिसका सामना ज़्यादातर छोटे बिज़नेस को करना पड़ता है।

उपर्युक्त परेशानियों का सामना लगभग हर MSME व्यवसायी को रोज़ाना करना पड़ता है, जिससे उनका बिज़नेस सही तरीक़े से आगे नहीं बढ़ पाता है। हालांकि, इनके अलावा कई और छोटी-छोटी वजहें हैं, जो बिज़नेस को आगे बढ़ने से रोकती हैं। MSME की इन सभी परेशानियों को ध्यान में रखकर ही MyMoney को बनाया गया है।

MyMoney क्या है?

MyMoney एक नियो बैंकिंग App है, जिसे MSMEs की बिज़नेस संबंधी ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। सामान्य तौर पर छोटे व्यवसायियों को बिज़नेस के लिए करेंट अकाउंट नहीं मिलता है। हालांकि, जिन व्यवसायियों को मिलता भी है, उन्हें लंबी कागज़ी कार्रवाई से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें काफ़ी समय और पैसा बर्बाद होता है। साथ ही अकाउंट खुलने में 4-5 दिन का समय लग जाता है। इसके अलावा क्रेडिट हिस्ट्री न होने की वजह से छोटे व्यवसायियों को कोई भी बैंक जल्दी लोन नहीं देता है। वहीं, अगर बिज़नेस मैनेज़मेंट की बात करें तो मैनुअल बुककिपिंग और अकाउंटिंग में भी काफ़ी समय बर्बाद हो जाता है। लेकिन अब MyMoney की मदद से MSME व्यवसायियों को इन सभी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और वह बिना परेशानी के अपनी बिज़नेस संबंधी कई ज़रूरतों को एक ही जगह पूरा कर सकते हैं। 

MyMoney MSME की इन ज़रूरतों को करता है पूरा:

बिज़नेस लोन:

देश के ज़्यादातर MSMEs को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बिज़नेस आगे बढ़ाने के लिए जब उन्हें पैसों की कमी होती है, तो वो बिज़नेस लोन (Business loan) के लिए बैंक का दरवाज़ा खटखटाते हैं। लेकिन उन्हें तरह-तरह के नियम बताकर वापस लौटा दिया जाता है। इस वजह से छोटे व्यवसायी लोन माफ़िया के चक्कर में फ़ंस जाते हैं। MSMEs की इन परेशानियों को हल करने के लिए MyMoney उन्हें उचित दर पर 10,000 रूपये से लेकर 10 लाख रूपये तक का बिज़नेस लोन प्रदान करता है, जिसे व्यवसायी 6-15 महीने के बीच अपनी सुविधा के अनुसार चुका सकते हैं। लोन अमाउंट बिज़नेस के साइज़ और उसकी योग्यता के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। जिन व्यवसायियों ने अपने बिज़नेस का रजिस्ट्रेशन (Registration of business) नहीं करवाया है, वह इंडिविजुअल (Indivisual) के तौर पर लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। वहीं, जिन व्यवसायियों के बिज़नेस का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, वह सोल प्रोपराइटरशिप (Sol proprietorship) के तौर पर लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

करेंट अकाउंट:

ज़्यादातर छोटे व्यवसायियों के पास बिज़नेस के लिए अलग से करेंट अकाउंट (Current account) नहीं होता है। इस वजह से उन्हें अपने पर्सनल बैंक अकाउंट से ही बिज़नेस और उसके ख़र्चों को मैनेज़ करना पड़ता है, जिससे बिज़नेस के हिसाब-किताब में काफ़ी परेशानी होती है। यही वजह है कि  MyMoney MSME व्यवसायियों को SBM (State Bank of Mauritius) का ज़ीरो बैलेंस करेंट अकाउंट प्रदान करता है। व्यवसायी MyMoney App पर लॉगिन करके करेंट अकाउंट के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने के 2 मिनट के अंदर ही करेंट अकाउंट अलॉट कर दिया जाता है, जबकि उसे एक्टिवेट होने में 24-48 घंटे का समय लगता है। इसके अलावा जिन व्यवसायियों के पास पहले से ICICI बैंक का करेंट अकाउंट है, वो MyMoney पर उसे लिंक करके उसकी स्टेटमेंट सीधे App पर ही देख सकते हैं। 

बिलिंग:

पहले जब तकनीकी का अभाव था; तब हर व्यवसायी पेपर पर ही इनवॉइस और बिल (Invoice and bill) बनाते थे, लेकिन आज के डिजिटल युग में ज़्यादातर काम ऑनलाइन होने लगे हैं। आजकल कई व्यवसायी डिजिटल बिल और इनवॉइस (Digital bill and invoice) बना रहे हैं। फिर भी कई ऐसे व्यवसायी है, जो अभी भी मैनुअली पेपर बिल और इनवॉइस बनाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ज़्यादातर बिलिंग सॉफ़्टवेयर या तो महंगे हैं, या समझने और इस्तेमाल करने में कठिन हैं। इस वजह से छोटे व्यवसायी ऑनलाइन बिलिंग सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। लेकिन, MyMoney इतना सरल App है, जिसे हर कोई समझ सकता है। साथ ही इसकी मदद से हर व्यवसायी कम समय और ख़र्च में आसानी से डिजिटली सेल्स इनवॉइस, सेल्स रिटर्न, पर्चेज़ बिल, पर्चेज़ रिटर्न बना सकते हैं।

अकाउंटिंग और बुककिपिंग:

अकाउंटिंग और बुककिपिंग (Accounting and bookkeeping) हर छोटे-बड़े बिज़नेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, ज़्यादातर छोटे व्यवसायी इसमें पीछे रह जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि छोटे व्यवसायी बिज़नेस की अकाउंटिंग और बुककिपिंग के लिए अकाउंटेंट नहीं रख पाते हैं और जो रखते हैं, उन्हें काफ़ी समय और पैसे ख़र्च करने पड़ते हैं। साथ ही मैनुअल अकाउंटिंग और बुककिपिंग में गलती की भी संभावना होती है, जिससे बिज़नेस को नुक़सान हो सकता है। वहीं, MyMoney इस्तेमाल करने वाले व्यवसायियों को बिज़नेस की अकाउंटिंग और बुककिपिंग की चिंता नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि ये पूरी तरह से ऑटोमेट होती है। इसकी वजह से सभी ट्रांजेक्शन्स ऑटोमैच हो जाते हैं और मिली हुई पेमेंट या मिलने वाली पेमेंट और की गई पेमेंट या की जाने वाली पेमेंट का अलग से हिसाब नहीं रखना पड़ता है। बिज़नेस की अकाउंटिंग और बुककिपिंग ऑटोमेट होने से समय और पैसे दोनों की बचत होती है, जिसका इस्तेमाल व्यवसायी अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने में कर सकते हैं।

उपर्युक्त सेवाओं के अलावा MyMoney App इस्तेमाल करने वाले व्यवसायी को बिज़नेस की इन्वेंटरी या स्टॉक और पेमेंट की भी चिंता नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि स्टॉक ख़त्म होने से पहले ही कम स्टॉक की नोटिफ़िकेशन आ जाती है। साथ ही समय से पेमेंट न मिलने पर व्यवसायी अपने ग्राहकों को पेमेंट रिमाइंडर भेजकर समय पर पेमेंट भी कलेक्ट कर सकते हैं। इस तरह MyMoney MSMEs की हर तरह से मदद करता है, ताकि वो आगे बढ़कर देश की तरक्की में अपना योगदान दे सकें।

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