बिज़नेस के लिए कोलैटरल फ़्री लोन क्यों महत्वपूर्ण है?

कोलैटरल फ़्री लोन

कोलैटरल फ़्री लोन
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) देश की GDP में लगभग 8% का योगदान देते हैं। इसमें से लगभग 45% विनिर्माण उत्पादन (Manufacturing production) क्षेत्र और लगभग 40% निर्यात (Export) क्षेत्र में काम करते हैं। इस महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए हम कह सकते हैं कि MSMEs भारत की वृद्धि और विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके बाद भी सबसे ज़्यादा आर्थिक चुनौतियों (Financial crisis) का सामना MSME सेक्टर को ही करना पड़ता है। ज़्यादातर छोटे स्तर के उद्योग और बिज़नेस (Small industry and business) अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए लोन लेते हैं, जिसके लिए उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free loan) ही इन छोटे स्तर के उद्योगों और बिज़नेस का एकमात्र सहारा होता है। इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि कोलैटरल फ़्री लोन क्या है और यह छोटे स्तर के बिज़नेस या उद्योगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

कोलैटरल फ़्री बिज़नेस लोन क्या है?

कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free loan), एक ऐसा लोन होता है, जिसे लेने के लिए किसी तरह के कोलैटरल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो, लोन लेने वाले व्यापारी को कुछ भी गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं होती है। यही वजह है कि इसे असुरक्षित लोन यानी अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured loan) भी कहा जाता है। कोलैटरल फ़्री लोन लेने का एक फ़ायदा यह भी है कि इसके लिए बहुत कम डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है। कोलैटरल फ़्री लोन तुरंत स्वीकार हो जाता है और कुछ ही समय के अंदर व्यापारी के अकाउंट में ट्रांसफ़र कर दिया जाता है। इसके साथ ही व्यापारी अपनी पसंद से अवधि का चुनाव कर सकते हैं और इसमें ब्याज़ दर भी कम होता है।

कोलैटरल फ़्री बिज़नेस लोन का महत्व:

  1. भारत के अधिकांश छोटे बिज़नेस और उद्योग इनफ़ॉर्मल सेक्टर (Informal sector) में काम करते हैं। जिस वजह से उनके पास सिक्योरिटी के रूप में दिखाने के लिए कोई क्रेडिट हिस्ट्री या कोलैटरल नहीं होता है। इस वजह से छोटे बिज़नेस को पारंपरिक बैंकों (Traditional banks) और अन्य वित्तीय संस्थानों (Financial institution) से लोन प्राप्त करने में काफ़ी परेशानी होती है। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free loan) ऐसे बिज़नेस को एक विकल्प देता है, जिससे उन्हें अपनी संपत्ति को कोलैटरल के रूप में गिरवी रखे बिना लोन लेने की आज़ादी मिलती है। इससे छोटे बिज़नेस और उद्योगों को अपना बिज़नेस आगे बढ़ाने के लिए आसानी से बिज़नेस लोन मिल जाता है।
  1. कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free loan) व्यापारियों को देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने का एक मौका देता है। भारत के ज़्यादातर लोग औपचारिक बैंकिंग सेवाओं (Formal banking services) का लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसके साथ ही कई लोगों को कोलैटरल या क्रेडिट हिस्ट्री की कमी की वजह से औपचारिक वित्तीय प्रणाली (Formal financial system) से बाहर रखा गया है। कोलैटरल फ़्री लोन ऐसे लोगों को लोन प्राप्त करने और औपचारिक अर्थव्यवस्था (Formal economy) में भाग लेने का अवसर देता है। इससे देश के आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है, क्योंकि इसकी वजह से ज़्यादा लोग बिज़नेस शुरू करने और रोज़गार प्रदान करने के योग्य बनते हैं।
  1. कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free loan) उद्यमशीलता और नवाचार (Entrepreneurship and innovation) को बढ़ावा देने में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है। ज़्यादातर नए विचारों और नवाचारों का जन्म छोटे बिज़नेस और उद्योगों द्वारा होता है, लेकिन उन विचारों को हक़ीक़त में बदलने के लिए उनके पास पर्याप्त धन नहीं होता है। ऐसे में कोलैटरल फ़्री लोन छोटे बिज़नेस और उद्योगों को अपने नए विचारों को हक़ीक़त में बदलने और बाज़ार में लाने के लिए आवश्यक धन प्रदान करता है। कोलैटरल फ़्री लोन की मदद से छोटे बिज़नेस और उद्योग बिना अपनी संपत्ति को गिरवी रखे अपने नए विचारों को हक़ीक़त में बदल सकते हैं। इससे नए उत्पादों और सेवाओं का निर्माण हो सकता है, जिससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलती है।
  1. इसके साथ ही कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free business loan) समावेशी वृद्धि और विकास (Inclusive growth and development) को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ा अंतर है और वित्त की कमी इस अंतर को दिनों-दिन बढ़ाती ही जा रही है। कोलैटरल फ़्री लोन छोटे बिज़नेस, उद्योगों और उन लोगों के लिए एक साधन प्रदान करता है, जिससे सभी को बराबरी करने का मौक़ा मिलता है। सीधे शब्दों में कहें तो कोलैटरल फ़्री लोन ग़रीबी और असमानता को कम करने और देश के समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।

उपर्युक्त सभी बातों को ध्यान में रखकर हम कह सकते हैं कि कोलैटरल फ़्री लोन (Collateral free loan) भारत के छोटे बिज़नेस और उद्योगों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ये पारंपरिक वित्तपोषण विकल्पों (Traditional financing options) के लिए एक उचित विकल्प प्रदान करता है, उद्यमिता और नवाचार (entrepreneurship and innovation) को प्रोत्साहित करता है और देश की समावेशी वृद्धि (Inclusive growth) में भी अपना योगदान देता है। इसलिए, नीति निर्माताओं और वित्तीय संस्थानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ये सभी चीजें सही तरीक़े से लगातार चलती रहें और इसके लिए उन्हें कोलैटरल फ़्री लोन के विकास और उपलब्धता का समर्थन करना चाहिए। इससे छोटे बिज़नेस और उद्योगों के पास पर्याप्त धन उपलब्ध होगा और वो देश के विकास में अपना योगदान दे पाएंगे।

कोलैटरल फ़्री लोन पाने में कैसे MyMoney छोटे बिज़नेस और उद्योगों की मदद कर सकता है?

देश के छोटे बिज़नेस और उद्योगों की आर्थिक परेशानियों को ध्यान में रखकर ही MyMoney को बनाया गया है। MyMoney एक ऐसी ऐप है, जो छोटे बिज़नेस और उद्योगों के वित्त को मैनेज़ करने के लिए कई टूल्स प्रदान करता है। इसकी मदद से बिज़नेस अपनी बैंकिंग, बिलिंग, अकाउंटिंग मैनेज़ करने के साथ ही अपने कैशफ्लो को सही रखने के लिए उचित दर पर बिज़नेस लोन प्राप्त कर सकते हैं। 

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